कभी गुलजार हुआ करती थी ये गलियाँ,जिसके चहकने से आ | हिंदी कविता Video
"कभी गुलजार हुआ करती थी ये गलियाँ,जिसके चहकने से
आज उन्हीं गलियाँ में वो मेहमान बन कर आती हैं ।
और उसकी मजबूरी तो देखों,गैरो से मोह्ल्त ले कर,वो अपने घर जाती हैं
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कभी गुलजार हुआ करती थी ये गलियाँ,जिसके चहकने से
आज उन्हीं गलियाँ में वो मेहमान बन कर आती हैं ।
और उसकी मजबूरी तो देखों,गैरो से मोह्ल्त ले कर,वो अपने घर जाती हैं