लिखते हुए, कलम ने कभी शब्दों पर, अपना अधिकार नहीं | हिंदी कविता Video

"लिखते हुए, कलम ने कभी शब्दों पर, अपना अधिकार नहीं जताया, नहीं कहां की बिना मेरे तेरा अस्तित्व क्या है ऐ लेखक, बस खुद को हमेशा समर्पित रखा, स्याही के बूंदों ने दिया परिचय, रक्त बन नसों में बहे जाने का, सांसों में मानव के जब भी हुआ अवरोध, स्याही की बोतल उंड़ेली गयी, तब जाकर देह को विश्राम मिला। कलम की स्याही ने न सिर्फ मुझे, बल्कि इतिहास को भी जीवित रखा, स्याही मयुर के पंखों से मिली, विघ्नहर्ता के दन्त से लगकर, पुरी रामायण ही रच डाली, खतों में लिपटकर प्रेम का सुत्रपात बनी, फिर भी हमने स्याही को स्वतंत्र न रखा, डिब्बियों में कैद जीवन उसका, खर्च हो रहा है मानवीय महत्ता में, कुछ स्याही बर्बाद कर रही जीवन, मानव की धूमिल सत्ता में, फिर भी निष्पक्ष होकर लड़ रही स्याही, बचा रही है जीवन, और कर रही समर्पण । ©Aarti Choudhary "

लिखते हुए, कलम ने कभी शब्दों पर, अपना अधिकार नहीं जताया, नहीं कहां की बिना मेरे तेरा अस्तित्व क्या है ऐ लेखक, बस खुद को हमेशा समर्पित रखा, स्याही के बूंदों ने दिया परिचय, रक्त बन नसों में बहे जाने का, सांसों में मानव के जब भी हुआ अवरोध, स्याही की बोतल उंड़ेली गयी, तब जाकर देह को विश्राम मिला। कलम की स्याही ने न सिर्फ मुझे, बल्कि इतिहास को भी जीवित रखा, स्याही मयुर के पंखों से मिली, विघ्नहर्ता के दन्त से लगकर, पुरी रामायण ही रच डाली, खतों में लिपटकर प्रेम का सुत्रपात बनी, फिर भी हमने स्याही को स्वतंत्र न रखा, डिब्बियों में कैद जीवन उसका, खर्च हो रहा है मानवीय महत्ता में, कुछ स्याही बर्बाद कर रही जीवन, मानव की धूमिल सत्ता में, फिर भी निष्पक्ष होकर लड़ रही स्याही, बचा रही है जीवन, और कर रही समर्पण । ©Aarti Choudhary

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