किसी के जख्म को हूँ दर्द बनके जी रहा व्यथित मन की | हिंदी Shayari Vide

"किसी के जख्म को हूँ दर्द बनके जी रहा व्यथित मन की पीड़ा को हूँ अश्क़ों मे पी रहा लगी है आग एक जलन की मेरे ख्वाब से क्यों किसी की आँखों मे भी ख्वाब बनके जी रहा ...... ©K_ATulYA "

किसी के जख्म को हूँ दर्द बनके जी रहा व्यथित मन की पीड़ा को हूँ अश्क़ों मे पी रहा लगी है आग एक जलन की मेरे ख्वाब से क्यों किसी की आँखों मे भी ख्वाब बनके जी रहा ...... ©K_ATulYA

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