कहीं दूरियां बन रहीं थी ,तो कहीं नज़दीकियों की शुर | हिंदी शायरी

"कहीं दूरियां बन रहीं थी ,तो कहीं नज़दीकियों की शुरुआत थी एहसासों की इस हेर-फेर में न जानें कौन सी अजनबी बरसात थी .."

 कहीं दूरियां बन रहीं थी ,तो
कहीं नज़दीकियों की शुरुआत थी 
एहसासों की इस हेर-फेर में
न जानें कौन सी अजनबी बरसात थी ..

कहीं दूरियां बन रहीं थी ,तो कहीं नज़दीकियों की शुरुआत थी एहसासों की इस हेर-फेर में न जानें कौन सी अजनबी बरसात थी ..

#lockdown #Relationship

#Light

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