Unsplash हिंदी भाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है | हिंदी विचार

"Unsplash हिंदी भाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है.... गांधी जी के जिस स्लोगन ने देश के लोगों को अपनी आज़ादी की मशाल जलाए रखने में, देश में आज़ादी की आवाज को कश्मीर से कन्याकुमारी तक और अरुणाचल प्रदेश से गुजरात तक पहुंचाने में मुख्य भूमिका निभाई थी आज वही हिंदी जो हमारी मातृभाषा हैं को वो सम्मान नहीं मिल पा रहा है, जिसकी कल्पना आजादी के रणबाकुरों ने की थी l.... आज देश का दुर्भाग्य है हिंदी सिर्फ अब एक विषय के रूप में कक्षा में पढाई जा रही है क्योंकि अंग्रेजी का महत्व सरकारी नौकरियों में सरकार ने ज्यादा ही महत्व दे दिया है... हिंदी का सफर शून्य की तरफ, अंग्रेजी का महत्व अपने सर्वोच्चता की तरफ.... ये देश की संस्कृति के लिए , आवाम के लिए घातक हैं। सरकार सिर्फ दिवस मानने तक सीमित हैं।। ©Anuj kumar "ASHK""

 Unsplash       हिंदी भाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है.... गांधी जी के
जिस स्लोगन ने देश के लोगों को अपनी आज़ादी की मशाल जलाए रखने में, देश में आज़ादी की आवाज को कश्मीर से कन्याकुमारी तक और अरुणाचल प्रदेश से गुजरात तक पहुंचाने में मुख्य भूमिका निभाई थी आज वही हिंदी जो हमारी मातृभाषा हैं को वो सम्मान नहीं मिल पा रहा है, जिसकी कल्पना आजादी के रणबाकुरों ने की थी l....
आज देश का दुर्भाग्य है हिंदी सिर्फ अब एक विषय के रूप में कक्षा में पढाई जा रही है क्योंकि अंग्रेजी का महत्व सरकारी नौकरियों में सरकार ने ज्यादा ही महत्व दे दिया है... 
हिंदी का सफर शून्य की तरफ,
अंग्रेजी का महत्व अपने सर्वोच्चता की तरफ.... 
ये देश की संस्कृति के लिए , आवाम के लिए घातक हैं।
सरकार सिर्फ दिवस मानने तक सीमित हैं।।

©Anuj kumar "ASHK"

Unsplash हिंदी भाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है.... गांधी जी के जिस स्लोगन ने देश के लोगों को अपनी आज़ादी की मशाल जलाए रखने में, देश में आज़ादी की आवाज को कश्मीर से कन्याकुमारी तक और अरुणाचल प्रदेश से गुजरात तक पहुंचाने में मुख्य भूमिका निभाई थी आज वही हिंदी जो हमारी मातृभाषा हैं को वो सम्मान नहीं मिल पा रहा है, जिसकी कल्पना आजादी के रणबाकुरों ने की थी l.... आज देश का दुर्भाग्य है हिंदी सिर्फ अब एक विषय के रूप में कक्षा में पढाई जा रही है क्योंकि अंग्रेजी का महत्व सरकारी नौकरियों में सरकार ने ज्यादा ही महत्व दे दिया है... हिंदी का सफर शून्य की तरफ, अंग्रेजी का महत्व अपने सर्वोच्चता की तरफ.... ये देश की संस्कृति के लिए , आवाम के लिए घातक हैं। सरकार सिर्फ दिवस मानने तक सीमित हैं।। ©Anuj kumar "ASHK"

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