खड़ी हो गई चाँपकर कंकालों की हूक नभ में विपुल विर | हिंदी Poetry Video

"खड़ी हो गई चाँपकर कंकालों की हूक नभ में विपुल विराट-सी शासन की बंदूक उस हिटलरी गुमान पर सभी रहें हैं थूक जिसमें कानी हो गई शासन की बंदूक बढ़ी बधिरता दसगुनी, बने विनोबा मूक धन्य-धन्य वह, धन्य वह, शासन की बंदूक सत्य स्वयं घायल हुआ, गई अहिंसा चूक जहाँ-तहाँ दगने लगी शासन की बंदूक जली ठूंठ पर बैठकर गई कोकिला कूक बाल न बाँका कर सकी शासन की बंदूक ! ©Suraj Thakur "

खड़ी हो गई चाँपकर कंकालों की हूक नभ में विपुल विराट-सी शासन की बंदूक उस हिटलरी गुमान पर सभी रहें हैं थूक जिसमें कानी हो गई शासन की बंदूक बढ़ी बधिरता दसगुनी, बने विनोबा मूक धन्य-धन्य वह, धन्य वह, शासन की बंदूक सत्य स्वयं घायल हुआ, गई अहिंसा चूक जहाँ-तहाँ दगने लगी शासन की बंदूक जली ठूंठ पर बैठकर गई कोकिला कूक बाल न बाँका कर सकी शासन की बंदूक ! ©Suraj Thakur

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