चाहतो उल्फतो के सिलसिले हजार हुए, हम प्रेमरोग | हिंदी शायरी Video

"चाहतो उल्फतो के सिलसिले हजार हुए, हम प्रेमरोगी तो, प्रेमरोग में गिरफ्तार हुए! क्या हक हमारा था नहीं, जो खुले में सांस ले सके! अपने हिसाब से हम , अपनी जिंदगी को जी सके! इश्क के रोगी तो रिस्क का शिकार हुए, बेगुनाह होकर भी हम दागदार हुए! ©Rajan "

चाहतो उल्फतो के सिलसिले हजार हुए, हम प्रेमरोगी तो, प्रेमरोग में गिरफ्तार हुए! क्या हक हमारा था नहीं, जो खुले में सांस ले सके! अपने हिसाब से हम , अपनी जिंदगी को जी सके! इश्क के रोगी तो रिस्क का शिकार हुए, बेगुनाह होकर भी हम दागदार हुए! ©Rajan

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