Unsplash हा कांच जैसी बिखरी हूं मैं, समझ न पाओगे, समंदर से भी गहरी हु मैं, मन मेरा भी करता हैं उड़ जाने को, बस कुछ मसलों से ठहरी हू मैं।।।।। ©Uday #✍️😔 Quotes, Shayari, Story, Poem, Jokes, Memes On Nojoto