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धार्मिक है इंसान पर पसंद सुदामा जैसा मित्र नहीं। | हिंदी भक्ति

"धार्मिक है इंसान पर पसंद सुदामा जैसा मित्र नहीं। श्रवण की गुण गाथा करता है इंसान माता - पिता की सेवा नहीं। राम नाम लेने बाद शबरी जैसों का ख्याल नहीं। दूसरों से ज़्यादा स्वयं को ठग रहा इंसान। पूजा शिव का कर, कुबेर बन रहा इंसान। शिव जैसे वेश-भूषा को कहां पसंद कर रहा इंसान। जहाँ मानवता नहीं वहाँ "मैं" भी नहीं यही तो कह रहा भगवान। आपकी मित्रता भी उसी से होगी जिसका भाव हो आपके समान। ©suman singh rajpoot"

 धार्मिक है इंसान 
पर पसंद सुदामा जैसा मित्र  नहीं।
श्रवण की गुण गाथा करता है इंसान 
माता - पिता की सेवा नहीं।
राम नाम लेने बाद 
शबरी जैसों का ख्याल नहीं।
दूसरों से ज़्यादा 
स्वयं को ठग रहा इंसान।
पूजा शिव का कर,
कुबेर बन रहा इंसान।
शिव जैसे वेश-भूषा को 
कहां पसंद कर रहा इंसान।
जहाँ मानवता नहीं 
वहाँ "मैं" भी नहीं 
यही तो कह रहा भगवान।
आपकी मित्रता भी उसी से होगी 
जिसका भाव हो आपके समान।

©suman singh rajpoot

धार्मिक है इंसान पर पसंद सुदामा जैसा मित्र नहीं। श्रवण की गुण गाथा करता है इंसान माता - पिता की सेवा नहीं। राम नाम लेने बाद शबरी जैसों का ख्याल नहीं। दूसरों से ज़्यादा स्वयं को ठग रहा इंसान। पूजा शिव का कर, कुबेर बन रहा इंसान। शिव जैसे वेश-भूषा को कहां पसंद कर रहा इंसान। जहाँ मानवता नहीं वहाँ "मैं" भी नहीं यही तो कह रहा भगवान। आपकी मित्रता भी उसी से होगी जिसका भाव हो आपके समान। ©suman singh rajpoot

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