आज के जमाने में लड़कियाँ हुई ताइर(चिड़िया)सी
आँखें सय्याद(शिकारी) की लगी हुई बेबाक सी
कर लिया दिल पर कब्ज़ा शोरिश-ए-जज़्बात ने
हमे लगता इस हादसे में हुई कोई चाल सी
हर शक्स लिए फिर रहा गुलबुन(गुलाब) फरेब से
अब तो रिश्तों की अहमियत हुई बेकार सी
शिताबी(जल्दबाजी) में न कर फैसला *प्रांशुल*
इश्क की मंजिल से बहुतो की जिंदगियाँ हुई राख सी
©Pranshul Sharma
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