अंकुशें कब न लगी..? अब भी लगायी जाय । एक ख़् | हिंदी कविता

""अंकुशें कब न लगी..? अब भी लगायी जाय । एक ख़्याल सा उठ रहा है मन में, दबायी जाय ।।" -राज सिंह सूर्यवंशी . ©राज सिंह सूर्यवंशी"

 "अंकुशें कब न लगी..? अब भी लगायी जाय ।
     एक ख़्याल सा उठ रहा है मन में, दबायी जाय ।।"

-राज सिंह सूर्यवंशी

















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©राज सिंह सूर्यवंशी

"अंकुशें कब न लगी..? अब भी लगायी जाय । एक ख़्याल सा उठ रहा है मन में, दबायी जाय ।।" -राज सिंह सूर्यवंशी . ©राज सिंह सूर्यवंशी

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