जब किसी से पहली बार मिलते हैं तुम मानो पहली पहल इतनी अच्छी होती है कि हम दोनों उनकी अच्छाइयां में खोए रहते हैं उनका लिखना उनका हंसना उनका चलना उनका नाम हम बस उनकी बातों में खोए रहते हैं क्योंकि हम वह फूल होते हैं प्यार के पहले फूल जो,
प्रेम के रूप में खेल रहे होते हैं यह फूल तब तक ही खेल रहा होता है जब तक एक दूसरे को हम बयां नहीं कर पाते कि हमें आपसे उनको हमसे कितनी मोहब्बत है जब एक बार कभी धोखे से कोई मोहब्बत किसी अनजान रास्तों में चला जाता है समझो वह फूल टूट कर गिर जाता है दूसरे की मन में उसके लिए इतनी इतना दर्द उत्पन्न हो जाता है मानो वह जीवन सदा के लिए निराशा की ओर चला जाता है
©Dev singhaniya
जब तुम हंसती हो, मोती मानो बरसते हैं
मेरे मन के आंगन में प्रेमवर्षा वो करते हैं।