माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिये उनके मूल मंत्र का जाप करना अनिवार्य होता है जिसकी जानकारी इस धरती पर पूर्ण संत प्रदान करता है। पूर्ण संत यानी तत्वदर्शी संत जो भक्ति विधि और मर्यादाएं बताता है उन पर चलने और भक्ति करने से दुर्गा माता एवं अन्य देवी देवताओं तथा ब्रह्मा, विष्णु, महेश को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है।
♦️पूर्ण परमात्मा की जानकारी तत्वदर्शी संत बता सकते हैं जो स्वंय पूर्ण परमात्मा ही होता है। देवी भागवत महापुराण में देवी जी यानि दुर्गा जी अपने से अन्य किसी और भगवान की भक्ति करने के लिये कहती हैं। इससे स्पष्ट है कि देवी जी यानि दुर्गा जी से भी ऊपर अन्य कोई भगवान है जिसकी भक्ति करने के लिये दुर्गा जी निर्देश दे रही हैं।
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♦️कबीर सागर में सृष्टि रचना, क्षर पुरुष/काल और दुर्गा की उत्पत्ति बताई गई है। सर्वशक्तिमान परमात्मा कविर्देव/कबीर जी ने अपनी वचन शक्ति से एक अंडे से इस क्षर पुरुष की उत्पत्ति की और बाद में दुर्गा का जन्म परमेश्वर कबीर/कविर्देव की वचन शक्ति से हुआ तो दुर्गा के पिता सर्वशक्तिमान कविर्देव के अतिरिक्त कोई नहीं है।