दिन के उजाले में रात के अंधेरे में खड़े हैं जो यूँ बुलंद दीवार बन के
हौसलों से भरे सरहद पर खड़े है जो रक्षावान बन के
सीने हैं फ़ौलादी जिनके खड़े हैं वो सुरक्षावान बन के
बंदूक के आगे सीना तान के खड़े हैं दिल इनके देश प्रेम की भावना से भरे है
तपती धूप में कड़कती ठंड में
जोश इनके प्रचंड है दुश्मनों को दंड है
सीखना है तो सीख लो तुम इनसे त्याग और बलिदान को
सफ़ेद कफन नहीं ये तिरंगा ओड़ के आते है मरते नहीं ये तो अमर हो जाते है
साँस जिनकी से तिरंगा लहराता है देख इन्हें दुश्मन भी ढर ढराता है
रखने तिरंगा ऊंचा खेल जाते है जान पर
आने नहीं देते आँच वतन की आन पर
इक माँ का राजदुलारा अब दुजी माँ का रखवाला है
यह सफर बड़ा ही निराला है
बदन पर वर्दी और दिल में भारत माँ को बसाए
खड़े हैं वो सरहदो पे पहरेदार बन के
हर मुश्किल के सामने वो पहाड़ से तैनात हैं
यूँ तो नहीं वो कोई आम इंसान यह तो भारत माँ के वीर जवान है
हमारे देश की शान है ....
©KAUR
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