निगाहों में मजे थी,  गिरे और गिर कर संभलते रहे, हव | हिंदी Motiva

"निगाहों में मजे थी,  गिरे और गिर कर संभलते रहे, हवाओं ने खूब कोशिश की, मगर चिराग आंधियों में जलते रहे। ©Abhijit Roy "

निगाहों में मजे थी,  गिरे और गिर कर संभलते रहे, हवाओं ने खूब कोशिश की, मगर चिराग आंधियों में जलते रहे। ©Abhijit Roy

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