मैं अब गहरी नींद में सोना चाहता हूं अपने टूटे सपनो | हिंदी कविता

"मैं अब गहरी नींद में सोना चाहता हूं अपने टूटे सपनो को पिरोना चाहता हूं, वो सपने जो देखे थे जागती आंखों से अब उन सपनो में समोना चाहता हूं मेरे सपने वही तो थे मेरे अपने बिखर गए थे जब नींद टूटी थी उसी टूटी नींद को फिर जोड़ना चाहता हूं मैं अब गहरी नींद में सोना चाहता हूं ऐसी गहरी नींद की फिर ने खुले आंखें ना टूटे नींद तो ना रहें सपने अधूरे उन्ही अधूरे सपनों को पूरा चाहता हूं अब ना आए कोई बीच मेरे और सपनो के मैं अन सपनो के संग नील गगन में उड़ जाना चाहता हूं, कभी वापस न आने के लिए। मैं गहरी नींद में सोना चाहता हूं। -अवि ©S S Avin"

 मैं अब गहरी नींद में सोना चाहता हूं
अपने टूटे सपनो को पिरोना चाहता हूं,
वो सपने जो देखे थे जागती आंखों से
अब उन सपनो में समोना चाहता हूं
मेरे सपने वही तो थे मेरे अपने
बिखर गए थे जब नींद टूटी थी
उसी टूटी नींद को फिर जोड़ना चाहता हूं
मैं अब गहरी नींद में सोना चाहता हूं
ऐसी गहरी नींद की फिर ने खुले आंखें
ना टूटे नींद तो ना रहें सपने अधूरे
उन्ही अधूरे सपनों को पूरा चाहता हूं
अब ना आए कोई बीच मेरे और सपनो के
मैं अन सपनो के संग नील गगन में 
उड़ जाना चाहता हूं, 
कभी वापस न आने के लिए।
मैं गहरी नींद में सोना चाहता हूं।
                            -अवि

©S S Avin

मैं अब गहरी नींद में सोना चाहता हूं अपने टूटे सपनो को पिरोना चाहता हूं, वो सपने जो देखे थे जागती आंखों से अब उन सपनो में समोना चाहता हूं मेरे सपने वही तो थे मेरे अपने बिखर गए थे जब नींद टूटी थी उसी टूटी नींद को फिर जोड़ना चाहता हूं मैं अब गहरी नींद में सोना चाहता हूं ऐसी गहरी नींद की फिर ने खुले आंखें ना टूटे नींद तो ना रहें सपने अधूरे उन्ही अधूरे सपनों को पूरा चाहता हूं अब ना आए कोई बीच मेरे और सपनो के मैं अन सपनो के संग नील गगन में उड़ जाना चाहता हूं, कभी वापस न आने के लिए। मैं गहरी नींद में सोना चाहता हूं। -अवि ©S S Avin

मैं अब गहरी नींद में सोना चाहता हूं...

#mountainday @AKRAM RAZA @Rajesh Kumar Suman Zaniyan @PRATIK BHALA (pratik writes)

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