इन आंखों की मस्ती के मस्ताने हजारों हैं।
ये कहानी है यारों की महफ़िल में नज़ारों की।
कोई कहता है झील सी इन को
कोई कहता है डुब जाऊं इन में।
ये खुबी है मेरी उम्र बहुत सुंदर है
इन आंखों की मस्ती के मस्ताने हज़ारों है।
ये नहीं है हजारों में फुर्सत मिले कभी तो
इन आंखों से ओझल नहीं होना
क्यूंकि ये आखो की बातें ही हजारों में है।।
इन आंखों की मस्ती के मस्ताने हज़ारों है।
#WorldEnvironmentDay