जहाँ पलती है मासूमियत गरीबी की छाँव में और...... | हिंदी Love

"जहाँ पलती है मासूमियत गरीबी की छाँव में और...... निकलो तो जरा बाहर शहर की चमक से तुम चाँद बिखेरता हैं चाँदनी आज भी हमारे गाँव में"

 जहाँ पलती है मासूमियत गरीबी की छाँव में  
और......
निकलो तो जरा बाहर शहर की चमक से तुम 

चाँद बिखेरता हैं चाँदनी आज भी हमारे गाँव में

जहाँ पलती है मासूमियत गरीबी की छाँव में और...... निकलो तो जरा बाहर शहर की चमक से तुम चाँद बिखेरता हैं चाँदनी आज भी हमारे गाँव में

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