White बिन मोहब्बत के गुज़ारा हो रहा है
रंज ये हम को गवारा हो रहा है
नफरते अब राज़ करने लग गयी हैं
ये क़यामत का इशारा हो रहा है
हर खुशी ने साथ मेरा छोड़ डाला
अब मुझे ग़म का सहारा हो रहा है
क्या किनारा पास आता जा रहा है
या किनारे से किनारा हो रहा है
मैं तो अपनी ज़िंदगी को जी चुका हूॅं
अब तो हर पल इस्तिआ'रा हो रहा है
©Poet Kabiir
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