नई शुरुआत
जैसे हर दिन की शुरुआत होती है उमंग से भरी रोशन प्रभात के साथ।
वैसे ही आगे बढ़ते चलो बदल दो जिंदगी का रुख नए आगाज़ के साथ।
माना कठिन हैं जिंदगी का हर डगर हिम्मत से असंभव को संभव बनाना है।
अपने हर ख्वाब को मुकम्मल करने की ज़िद ठान लो पूरे विश्वास के साथ।
कोशिश करेंगी गिराने की ठोकर मारकर मुस्किलों को दाएं बाएं करते चलो।
अपना रास्ता खुद बनाते जाना है नाता तोड़कर मतलबी समाज के साथ।
तुम्हारे हाथों मैं पड़े हुए छाले तुम्हारी चमकती हुई तकदीर के गवाह बनेंगे।
शून्य से उठकर चमकना है सूरज की भांति लड़कर मुुश्किल हालात के साथ।
ना रुकना है ना झुकना है हवाओं की तरह बहते जाना है मंजिल की तरफ।
चलो मिलकर प्रण करते हैं नई शुरुआत की अपनी बुलंद आवाज के साथ।
रविंद्र सिंह
©ਰਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ (RAVI)
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