मैं हूँ थोड़ी अज़ीब सी
मैं बादलों से डरती हूँ, बरसात पर मैं मरती हूँ।
जब हवाओं के संग उड़ती हूँ
, तब भी जमीं से जुड़ के चलती हूँ।
हाँ, मैं हूँ थोड़ी अज़ीब सी, मगर प्यार तुमसे करती हूँ।
कभी सागर की चट्टान हूँ,
कभी रेत बन किनारों से जा मिलती हूँ।
मैं इंद्रधनुष की बेला हूँ,
मैं हर घड़ी रंग बदलती हूँ।
हाँ, मैं हूँ थोड़ी अज़ीब सी, मगर प्यार तुमसे करती हूँ।
जो बात मुझे सताए,
मैं तंग उसी को करती हूँ,
कल रूठ गयी थी जिस बात पर,
आज पसंद उसी को करती हूँ।
हाँ, मैं हूँ थोड़ी अज़ीब सी, मगर प्यार तुमसे करती हूँ।
बिन कहे कुछ कहती हूँ,
बिन सुने सब समझती हूँ,
बात है बस इतनी सी,
जो हर बार तुमसे कहती हूँ।
हाँ, मैं हूँ थोड़ी अज़ीब सी, मगर प्यार तुमसे करती हूँ।
©Ahsas83
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