सब ने मुझे जाना अच्छी तरह
तुमने न पहचाना अच्छी तरह
गुम सा बैठा रहता हूँ कभी कभी
हर वक्त याद आना अच्छी तरह
अकेले छोड़ देती है मुझे दिन भर
फिर तन्हाई को पाना अच्छी तरह
वो सुनना नहीं चाहती दिल का दर्द
मुझे पड़ता है सुनाना अच्छी तरह
लाख कोशिश कर ले मुझे हँसाने की
मुश्किल है गम भुलाना अच्छी तरह
अकेला रहता हूँ गम के बाजार में
फिर दिखता मयख़ाना अच्छी तरह
तेरा दिल जीतना मुश्किल है सच में
सरल है पत्थर पिघलाना अच्छी तरह
~किशोर मनी