शाख़ से पत्ते टूट कर, कुछ लम्हों के लिये हवा में उ | हिंदी Shayari Vide

"शाख़ से पत्ते टूट कर, कुछ लम्हों के लिये हवा में उड़ते ज़रूर है, मगर याद रखना, वो गिरते ज़मीन पर ही है। ©SohanDev "

शाख़ से पत्ते टूट कर, कुछ लम्हों के लिये हवा में उड़ते ज़रूर है, मगर याद रखना, वो गिरते ज़मीन पर ही है। ©SohanDev

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