White मेरा सब्र
मेरे हाथों से
ऐसे छूट रहा है
जैसे
इष्ट का नाम
जपते हुए
रूद्राक्ष की माला
टूट पड़े...
मेरी उम्मीद
मेरे दिल से
ऐसे उतर रही है
जैसे
सूर्य को अरध्य
देते हुए
जल कलश
गिर पड़े....
मेरे सपने
मेरी आँखों से
ऐसे छिटक रहे हैं
जैसे
देवी स्तुति
करते हुए
आरती का दिया
बुझ पड़े....
मेरे रास्ते
मेरी मंजिलों से
ऐसे बिछ़ड रहे हैं
जैसे
चरणामृत लेते हुए
अंजुरी में अपने
अश्रु गिर पड़े...
मेरी मुस्कुराहट
मेरे लबों से
ऐसे रूठ गयी है
जैसे
दूब घास
चुनते हुए
उंगली में कोई
फाँस लग पड़े ...!!
©Sandhya Chaturvedi
#sad_shayari