"बहुत सी बातें कहनी थीं पर
रह गई
इश्क़ की दीवार
कच्ची थी
ढह गई
इश्क़ तेरे लिए
खेल था
पर मेरे लिए
जन्मों का मेल था
विश्वास का धागा
कच्चा था
सो टूट गया
चलो अच्छा हुआ
जो अपना नहीं था, छूट गया
उम्मीदें सारी बह गईं
बहुत सी बातें कहनी थीं पर
रह गईं
इश्क़ की दीवार
कच्ची थी
ढह गई
©Gurinder Singh"