हर रोज़ जब ये मेरा दिन शुरू होता है।
कुछ कर गुजरने के लिए पुरू होता है।
खुद कुछ सीखें या दुनिया को सिखाएं।
मेरा हर दिन अपने आप मे गुरू होता है।
बेवजह ही पहाड़ो से टकराते है ये लोग
कम्बख़त एक कंकर भी सीख दे जाता है।
ढूंढो तो कोई सही मुर्शद भी नही मिलता,
यूँ तो हर कोई ज्ञान की भीख दे जाता है।
काबिलियत तो हर कोई रखता है यहां।
पर"बजरंगी" कोई परखने वाला चाहिए।
हर शख्स अपने आप मे गुरु भी शिष्य भी।
बस खुद पर भरोसा रखने वाला चाहिए।
चींटी से लेकर चांटा, कौआ से लेकर कांटा
हर चीज़ ने है यहाँ अपना ज्ञान है बांटा।
माँ बाप के प्यार और गुस्सा में भी ज्ञान है।
सही में दी शाबाशी तो गलती में है डाँटा।
पहले गुरु माँ बाप जो बोलना चलना सिखाया।
दूजे गुरु शिक्षक जो पढ़ना लिखना सिखाया।
तीसरा सबसे बड़ा गुरू तू है मेरी ज़िंदगी।
जो तूने सिखाया वो किसी ने नहीं सिखाया।
©Raju Bajrangi
#kitaab