White प्रेम ताउम्र सिर्फ़ प्रेम ही रहता है बिल्कुल | हिंदी Life

"White प्रेम ताउम्र सिर्फ़ प्रेम ही रहता है बिल्कुल आसमान में उड़ते हुए परिंदों की तरह , बशर्ते वो बस हासिल ना हो। विवाह, ताउम्र सिर्फ़ विवाह ही रहता है, विवाह में कभी प्रेम नहीं हो सकता , होता है तो सिर्फ़ जिम्मेदारियों का बोझ।। विवाह चाहे "प्रेम विवाह" ही क्यों ना हो , विवाह के बाद "प्रेम विवाह" से प्रेम कहीं लुप्त हो जाता है, और बचता है तो सिर्फ़ विवाह , वही विवाह जो जिम्मेदारियों के बोझ तले उम्रभर के लिए दबा रह जाता है। विवाह बांधता है बंधनों में, पिंजरे के जैसा स्वतंत्रता को कैद रखता है , जबकि प्रेम स्वतंत्र होता है , लापरवाह , आज़ाद होता है, बंधनों से मुक्त और चाहतों से परे। ©" शमी सतीश " (Satish Girotiya)"

 White प्रेम ताउम्र सिर्फ़ प्रेम ही रहता है बिल्कुल आसमान में उड़ते हुए परिंदों की तरह , बशर्ते वो बस हासिल ना हो। 
विवाह, ताउम्र सिर्फ़ विवाह ही रहता है, विवाह में कभी प्रेम नहीं हो सकता , होता है तो सिर्फ़ जिम्मेदारियों का बोझ।। 

विवाह चाहे "प्रेम विवाह" ही क्यों ना हो , 
विवाह के बाद "प्रेम विवाह" से प्रेम कहीं लुप्त हो जाता है, और बचता है तो सिर्फ़ विवाह , 
वही विवाह जो जिम्मेदारियों के बोझ तले उम्रभर के लिए दबा रह जाता है। 

विवाह बांधता है बंधनों में, पिंजरे के जैसा स्वतंत्रता को कैद रखता है , 
जबकि प्रेम स्वतंत्र होता है , लापरवाह , आज़ाद होता है, बंधनों से मुक्त  और चाहतों से परे।

©" शमी सतीश " (Satish Girotiya)

White प्रेम ताउम्र सिर्फ़ प्रेम ही रहता है बिल्कुल आसमान में उड़ते हुए परिंदों की तरह , बशर्ते वो बस हासिल ना हो। विवाह, ताउम्र सिर्फ़ विवाह ही रहता है, विवाह में कभी प्रेम नहीं हो सकता , होता है तो सिर्फ़ जिम्मेदारियों का बोझ।। विवाह चाहे "प्रेम विवाह" ही क्यों ना हो , विवाह के बाद "प्रेम विवाह" से प्रेम कहीं लुप्त हो जाता है, और बचता है तो सिर्फ़ विवाह , वही विवाह जो जिम्मेदारियों के बोझ तले उम्रभर के लिए दबा रह जाता है। विवाह बांधता है बंधनों में, पिंजरे के जैसा स्वतंत्रता को कैद रखता है , जबकि प्रेम स्वतंत्र होता है , लापरवाह , आज़ाद होता है, बंधनों से मुक्त और चाहतों से परे। ©" शमी सतीश " (Satish Girotiya)

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