तितलियों सी अपना जहां छोड़ के ख्वाबों को सजाने आयी | हिंदी Poetry Vide

"तितलियों सी अपना जहां छोड़ के ख्वाबों को सजाने आयी थी,, अब भरे ये आसमां मेरा इंद्रधनुष जो समंदर में खोया था कहीं,,, दिया समर्पन नदी के जैसा हुई विलीन तुम में मैं अब किनारों पे लाओ समंदर मोतियाँ और जुगनू का शहर।। ©Akash kumar "

तितलियों सी अपना जहां छोड़ के ख्वाबों को सजाने आयी थी,, अब भरे ये आसमां मेरा इंद्रधनुष जो समंदर में खोया था कहीं,,, दिया समर्पन नदी के जैसा हुई विलीन तुम में मैं अब किनारों पे लाओ समंदर मोतियाँ और जुगनू का शहर।। ©Akash kumar

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