हमारे मुल्क चले आओ सदा बरसात रहती ह
कभी बादल बरसते ह कभी आँखे बरसती ह
ऐ मेरे हमनशि चल कहि और चल
इस चमन में हमारा गुजारा नही
बात फूलो की होती तो सह लेते हम
अब तो काँटों पे भी हक़ हमारा नही
जब भी आले चमन को जरुरत पड़ी
खून हमने दिया गर्दने भी कटी
फिर भी कहते ह हमसे ये आले चमन
ये चमन हमारा ह तुम्हारा नही
ae mere hamnashi chal khi or chal