बहुरंगा..जीवन का राग है कहीं संघर्षो का विलाप है, | हिंदी कविता

"बहुरंगा..जीवन का राग है कहीं संघर्षो का विलाप है, कहीं असीम अनंत विलास है, कहीं भूखमरी की आग है, कहीं विपुल भोज स्वाद है, बहुरंगा..जीवन का राग है। कहीं दरिंदगी के भद्दे दाग है, कहीं ज्ञानमाय संत समाज है, कहीं प्रकृति से मेल मिलाप है, कहीं शजरों की बुझी राख है, बहुरंगा..जीवन का राग है। कहीं मूकता की आवाज है, कहीं बातों से घिरा विवाद है, कहीं इरादों के अनुवाद है, कहीं बेवफ़ाई के वाद है, बहुरंगा..जीवन का राग है। कहीं तमन्नाओं का आलाप है, कहीं वेदनाओं का सैलाब है, कहीं कौशलता की चाक है, कहीं बाहुबलता की धाक है, बहुरंगा..जीवन का राग है। डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳 ©Anand Dadhich"

 बहुरंगा..जीवन का राग है

कहीं संघर्षो का विलाप है,
कहीं असीम अनंत विलास है,
कहीं भूखमरी की आग है,
कहीं विपुल भोज स्वाद है,
बहुरंगा..जीवन का राग है।

कहीं दरिंदगी के भद्दे दाग है,
कहीं ज्ञानमाय संत समाज है,
कहीं प्रकृति से मेल मिलाप है,
कहीं शजरों की बुझी राख है,
बहुरंगा..जीवन का राग है।

कहीं मूकता की आवाज है,
कहीं बातों से घिरा विवाद है,
कहीं इरादों के अनुवाद है,
कहीं बेवफ़ाई के वाद है,
बहुरंगा..जीवन का राग है।

कहीं तमन्नाओं का आलाप है,
कहीं वेदनाओं का सैलाब है,
कहीं कौशलता की चाक है,
कहीं बाहुबलता की धाक है,
बहुरंगा..जीवन का राग है।

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳

©Anand Dadhich

बहुरंगा..जीवन का राग है कहीं संघर्षो का विलाप है, कहीं असीम अनंत विलास है, कहीं भूखमरी की आग है, कहीं विपुल भोज स्वाद है, बहुरंगा..जीवन का राग है। कहीं दरिंदगी के भद्दे दाग है, कहीं ज्ञानमाय संत समाज है, कहीं प्रकृति से मेल मिलाप है, कहीं शजरों की बुझी राख है, बहुरंगा..जीवन का राग है। कहीं मूकता की आवाज है, कहीं बातों से घिरा विवाद है, कहीं इरादों के अनुवाद है, कहीं बेवफ़ाई के वाद है, बहुरंगा..जीवन का राग है। कहीं तमन्नाओं का आलाप है, कहीं वेदनाओं का सैलाब है, कहीं कौशलता की चाक है, कहीं बाहुबलता की धाक है, बहुरंगा..जीवन का राग है। डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳 ©Anand Dadhich

#बहुरंगा_जीवन_का_राग #kaviananddadhich #poetananddadhich #poetsofindia #Life

#Book

People who shared love close

More like this

Trending Topic