जो घर से तुम चलो सादिक़ दुआ के साथ भी रहना,
तसलसुल तोड़ देना गर खुदा के साथ भी रहना।
चराग़ों की तरह गर जलो तो याद भी रखना,
क़लाम-ए-तूफां कर लेना, हवा के साथ भी रहना।
वो गरचे तुझको राहों में कहीं यूँ मिल भी जायें तो,
खुश-आज़िज़ करना उनको और बिठा के साथ भी रहना।