मैं तुम्हारा गीत हूँ और मैं तुम्हारा साज भी हूँ जि | हिंदी कविता

"मैं तुम्हारा गीत हूँ और मैं तुम्हारा साज भी हूँ जितना था कल तक तुम्हारा, उतनी ही मैं आज भी हूँ व्योम में रश्मि चमकतीं, रश्मियों का आदि मैं हूँ मैं निखरता रश्मियों से, सुरमई आह्लाद भी हूँ मैं तुम्हारी ज्योति में हूँ, जलता भी मैं ही निरन्तर वह अनादि मौन मैं हूँ और अखंडित नाद भी हूँ मैं तुम्हारा आभामंडल, मैं ही तो मुस्कान में हूँ मैं तुम्हारा हूँ समर्पण, मैं ही तो अभिमान भी हूँ मैं तुम्हारे भाव में हूँ और तुम्हारा गान मैं हूँ प्राण तुम मेरे हृदय की और तुम्हारे प्राण मैं हूँ 14 अप्रैल, 2021 ©Ashwani Dixit"

 मैं तुम्हारा गीत हूँ और मैं तुम्हारा साज भी हूँ
जितना था कल तक तुम्हारा, उतनी ही मैं आज भी हूँ

व्योम में रश्मि चमकतीं, रश्मियों का आदि मैं हूँ
मैं निखरता रश्मियों से, सुरमई आह्लाद भी हूँ

मैं तुम्हारी ज्योति में हूँ, जलता भी मैं ही निरन्तर
वह अनादि मौन मैं हूँ और अखंडित नाद भी हूँ

मैं तुम्हारा आभामंडल, मैं ही तो मुस्कान में हूँ
मैं तुम्हारा हूँ समर्पण, मैं ही तो अभिमान भी हूँ

मैं तुम्हारे भाव में हूँ और तुम्हारा गान मैं हूँ
प्राण तुम मेरे हृदय की और तुम्हारे प्राण मैं हूँ

14 अप्रैल, 2021

©Ashwani Dixit

मैं तुम्हारा गीत हूँ और मैं तुम्हारा साज भी हूँ जितना था कल तक तुम्हारा, उतनी ही मैं आज भी हूँ व्योम में रश्मि चमकतीं, रश्मियों का आदि मैं हूँ मैं निखरता रश्मियों से, सुरमई आह्लाद भी हूँ मैं तुम्हारी ज्योति में हूँ, जलता भी मैं ही निरन्तर वह अनादि मौन मैं हूँ और अखंडित नाद भी हूँ मैं तुम्हारा आभामंडल, मैं ही तो मुस्कान में हूँ मैं तुम्हारा हूँ समर्पण, मैं ही तो अभिमान भी हूँ मैं तुम्हारे भाव में हूँ और तुम्हारा गान मैं हूँ प्राण तुम मेरे हृदय की और तुम्हारे प्राण मैं हूँ 14 अप्रैल, 2021 ©Ashwani Dixit

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