मेरी ख्वाहिशें
कुछ ख्वाहिशें है मेरी, जब मिलने आओं ना तो
ज्यादा संवरना मत, बस अपनी जुल्फें खुली रखना...
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कुछ ख्वाहिशे है मेरी...
जब मिलने आओंगी मुझसे तो ज्यादा मत संवरना बस अपनी जुल्फ़ें खुली रखना, आँख़ों में हल्का का काजल और होंठो पर हल्की सी लाली लगा लेना और वो जो तुम्हारी नाक की बाली है न उसे भूलना मत वो तुम्हारी खूबसूरती पर चार चाँद लगाती है और हाँ अपना वही पसंदीदा सूट पहनकर आना जिसमें तुम बला की खूबसूरत लगती हो।
और जब मिलो ना मुझसे से तो चहरे पर वही मुस्कान हो जो तुम्हारी मुझसे फोन पर बात करते वक्त होती थी और वादे के मुताबिक तुम्हारे साथ रेस्त्राँ में बैठकर एक ही कॉफी कप से कॉफी पीनी है, तुम्ह