कभी कभी यूँ लगता है जैसे हम पुरुष स्त्री को
सिर्फ सांत्वना देने के लिए उसे पुरुषों के बराबर
या पुरुषों से आगे बता देते हैं ताकि वो उग्र ना हो,
पर कुछ दृश्य ये साबित कर देते हैं कि स्त्री का
बराबरी पर आना पुरुषवर्ग की
आँखो को नहीं भाता..
"ये भेदभाव हम क्यों चाह कर भी नहीं मिटा पाते"??
©aman soni
#thought