उलझ गई है जिंदगी, जरुरतों की कशमकश में, यूँ दायरो | हिंदी Shayari

"उलझ गई है जिंदगी, जरुरतों की कशमकश में, यूँ दायरों में सिमट रहा है, मेरे शौक का दौर।। ©रोहन 'हिमान्शु' झा"

 उलझ गई है जिंदगी, 
जरुरतों की कशमकश में,
यूँ दायरों में सिमट रहा है,
 मेरे शौक का दौर।।

©रोहन 'हिमान्शु' झा

उलझ गई है जिंदगी, जरुरतों की कशमकश में, यूँ दायरों में सिमट रहा है, मेरे शौक का दौर।। ©रोहन 'हिमान्शु' झा

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