अंधेरा है घनघोर अभी
सूरज को जरा निकलने दो,
पूरी होगी हर ख्वाहिश
कोई स्वप्न सलोना पलने दो।
इतनी जल्दी हार न मानो
कठिनाई कुछ घड़ी की है,
पर्वत भी शीश झुका देंगें,
थोड़ा तो वक़्त बदलने दो।
सब साथ छोड़ देंगें एक दिन
ये तो दुनिया की रीत है,
फिर भी अपने संग मुझको
एक उम्र तलक तो चलने दो।
अंधेरा है घनघोर अभी
सूरज को जरा निकलने दो,
पूरी होगी हर ख्वाहिश
कोई स्वप्न सलोना पलने दो।
©दिनेश
स्वप्न सलोना पलने दो