"।।प्रभु के प्रेम।।
इस दुनिया से पाप का अंत करते करते,
कब प्यार का दिया भी जलाने लगे थे,
हे राम,आप भी प्यार के एक मिशाल बने थे।
एक अच्छा पुत्र,एक अच्छा पति और एक अच्छा पिता हुए थे,
पुरुषों में उत्तम हो कर पुनः पुरुषोत्तम कहलाने लगे थे।
©Soumyashree Satapathy
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