"सच्चा प्रेम"
हम तो उस मोहन के कायल
जिस पर सब गोपी मरती थीं
जिसको वो अपना कहती थीं
जिसको बाँहो में भरती थीं
लेकिन उस मोहन को देखो
उस मोहन के मन को देखो
बस इक की चाहत करता था
यानी राधे पे मरता था
यानी राधे पे मरता था
कविराज " मधुकर "
©पं. राजमणि बूटौलिया
#janmaashtami