मुझे घर बहुत याद आता है
जब सर्द मौसम में सिमा पर पहरा देने जाता हूँ
तो माँ की ममता बहुत सताता है
पापा का सख्त रवैया बहुत याद आता है
उनका गुस्से से कहना
ठंड बहुत ज्यादा है, घर में ही पडे रहो
उनका वो गुस्से में छिपा फिक्र बहुत रूलाता है
घर बहुत याद आता है
रात में नींद नहीं आता था
तो माँ की गोद में सो जाता था
मन नहीं लगता कभी
तो बहन से झगड़ा करता था
दोस्तों के साथ घुमना बहुत याद आता है
घर बहुत याद आता है
जब चोट लगती है कभी
तो पापा का याद बहुत सताता है
चोरी पकड़ी जाती थी
तो उनका डांटना याद आता है
चोट लगता था मुझे
तो उनकी आंखों का आंसू
आज बहुत रूलाता है
मुझे घर बहुत याद आता है
©कलम की दुनिया
#सैनिककेदुख