"अंतिम अरदास"
लौटते हुए कवि लौटा देता है स्रष्टा को दिक् और काल तुकबंदी की पुरानी आदत कला और साँस मिट्टी और नियति
मृत्यु के चरम समय में कवि करता है अरदास धर्मगुरुओं की तरह उसे मिले एक और क्षण एक और साँस जीवन-सूत्र को जोड़ने के लिए
एक कौंध की तरह है सच्चे कवि का होना जिसके सघन प्रकाश में हम फिर-फिर दोहराते हैं जीवन का मूल पाठ
'सवाई सिंह शेखावत'
©Nisha Yadav
#nojota