उस रात कुछ ऐसा हुआ ,
हो रही थी गुफ्तगू ,
महफ़िल में उसकी लोगों से ,
महफ़िल थी उसकी ,
वो जो कहता रहा ,
लोग सुनते रहे ,
हम भी थे सुनने वालों में ,
उसे शायद ये ध्यान न था ,
या पता नहीं ,
उसने हमें भी लोगों में गिन लिया था ,
उस रात कुछ ऐसा हुआ..
उसने जो कहा महफ़िल में ,
वो भूल गया ,
हमने जो सुना महफ़िल में ,
हमे याद रहा ,
हां उस रात ऐसा ही हुआ था ।
©Mohini Shukla