"कैसी ये खलिश कैसा ख़ुमार है, तू है पास नही
तेरी यादों की बहार है,
पतझड़ के मौसम में
ये कैसी बारिश की फुहार है,
हमे चाहत है देखने की तुम्हे
इन आँखों पर जैसे धुंध सवार है।"
कैसी ये खलिश कैसा ख़ुमार है, तू है पास नही
तेरी यादों की बहार है,
पतझड़ के मौसम में
ये कैसी बारिश की फुहार है,
हमे चाहत है देखने की तुम्हे
इन आँखों पर जैसे धुंध सवार है।