छान डाली सब ही धर्मों की किताबें अब न वाक़िफ़ कौन | हिंदी Poetry

"छान डाली सब ही धर्मों की किताबें अब न वाक़िफ़ कौन मज़हब के रहे हम ©Poet Kabiir"

 छान डाली सब ही धर्मों की किताबें 
अब न वाक़िफ़ कौन मज़हब के रहे हम

©Poet Kabiir

छान डाली सब ही धर्मों की किताबें अब न वाक़िफ़ कौन मज़हब के रहे हम ©Poet Kabiir

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