ढलती शाम के साथ वो दूर कहीं चली जा रही थी मैनें उन | हिंदी कविता Video
"ढलती शाम के साथ वो दूर कहीं चली जा रही थी
मैनें उन्हें रोकना चाहा पर रोक नहीं पा रही थी
आंखे मूंदकर मैनें उन्हें महसूस करना चाहा
वो मुझे टाटा बाय बाय करते हुए नजर आ रही थी
घबराकर मैनें आंख खोला
तो चार कंधो पर जाते हुए नजर आ रही थी। "
ढलती शाम के साथ वो दूर कहीं चली जा रही थी
मैनें उन्हें रोकना चाहा पर रोक नहीं पा रही थी
आंखे मूंदकर मैनें उन्हें महसूस करना चाहा
वो मुझे टाटा बाय बाय करते हुए नजर आ रही थी
घबराकर मैनें आंख खोला
तो चार कंधो पर जाते हुए नजर आ रही थी।