Unsplash छोटी सी जिंदगी में,
मेरा भी एक अरमान था।
पढ़ा लिखा मेहनत की,
मैं भी एक विद्वान था।
टूटे हुए दिलो को जोड़ता,
इस कला में मैं महान था।
आखिर में मुझे पता चला,
कि घर मेरा शमशान था।
और तुझे क्या बताऊं मेरे यार,
यह आखिरी लाश का बयान था।
©Priyanka Poetry
shayri