हवा और दुपट्टा "हुस्न ताज़ का हो ..या मुमताज़ का हो | हिंदी Shayari

"हवा और दुपट्टा "हुस्न ताज़ का हो ..या मुमताज़ का हो कुछ इमारतें क़यामत तक खंडहर नही होती... " रौनक़ वासुदेव ""

 हवा और दुपट्टा "हुस्न ताज़ का हो ..या मुमताज़ का हो
कुछ इमारतें  क़यामत तक
खंडहर नही होती...

" रौनक़ वासुदेव "

हवा और दुपट्टा "हुस्न ताज़ का हो ..या मुमताज़ का हो कुछ इमारतें क़यामत तक खंडहर नही होती... " रौनक़ वासुदेव "

#Dupatta

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