खिताबी उम्मीदें हम किसी से रखते नहीं जनाब, उस बदल | हिंदी कविता

"खिताबी उम्मीदें हम किसी से रखते नहीं जनाब, उस बदलते शख्स का हम कभी करते नहीं ख्वाब। उस मिश्रित हवा को आखिर वह जाने दो तुम अभी, नहीं आई खुशबू इसमें कि है कोई खिला हुआ गुलाब। ✍️WildSudhirAarya ©WildSudhirAarya"

 खिताबी उम्मीदें  हम किसी से रखते नहीं जनाब,
उस बदलते शख्स का हम कभी करते नहीं ख्वाब।
उस मिश्रित हवा को आखिर वह जाने दो तुम अभी,
नहीं आई खुशबू इसमें कि है कोई खिला हुआ गुलाब।
✍️WildSudhirAarya

©WildSudhirAarya

खिताबी उम्मीदें हम किसी से रखते नहीं जनाब, उस बदलते शख्स का हम कभी करते नहीं ख्वाब। उस मिश्रित हवा को आखिर वह जाने दो तुम अभी, नहीं आई खुशबू इसमें कि है कोई खिला हुआ गुलाब। ✍️WildSudhirAarya ©WildSudhirAarya

उम्मीद का खिताब

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