लगी है, आग सीने में ,बुझाने हम कहां जाएं?
बताओ रौनके - महफ़िल सजाने हम कहां जाएं?
नहीं सपने,नहीं अपने,सभी छूटे,सभी टूटे ,
गया तू छोड़ के दुनियां,बुलाने हम कहां जाएं?
©डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)
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