मेरी शायरी में अपनी कहानी ढूंढना
मेरे दर्द में तुम अपनी रवानी ढूंढना
मैं लिखूंगा मोहब्बतों के कई नगमें
तुम इस में अपनी जवानी ढूंढना।
मुस्कुराता हूं मुस्कुराती है ऐसे दिन कई गुजरे हैं
तुम भी अपने दिन ऐसे पुराने ढूंढना।
छोटी-छोटी बात पर मेरा इश्क मुस्कुराता है
तुम भी अपनी इश्क में नादानी ढूंढना।
जो मेरे दुख की सारी बातें बता सके
तुम लब नहीं मेरी आंखो में पानी ढूंढना।
ग़ुमनाम पर जैसे वो लड़की मरा करती थी
ऐसे ही तुम यार कोई लड़की दीवानी ढूढना।
✍ग़ुमनाम
©Mr Ismail Khan (गुमनाम राइटर)
मेरी शायरी में अपनी कहानी ढूंढना
मेरे दर्द में तुम अपनी रवानी ढूंढना
मैं लिखूंगा मोहब्बतों के कई नगमें
तुम इस में अपनी जवानी ढूंढना।
मुस्कुराता हूं मुस्कुराती है ऐसे दिन कई गुजरे हैं
तुम भी अपने दिन ऐसे पुराने ढूंढना।