ज़मी ने उसे समेटा , मिट्टी में लपेटा झर गयी पत्ती- | हिंदी शायरी

"ज़मी ने उसे समेटा , मिट्टी में लपेटा झर गयी पत्ती- पत्ती धरा ने यूं सहेज़ा मखमली उड़ा के चादर धूप ने कुछ सेंका फिर से वो बीज बनके धरा से फूटा एक फूल शाख से गिरा और टूटा।। ©@krishn_ratii (Roli Mishra)"

 ज़मी ने उसे समेटा , मिट्टी में लपेटा 
झर गयी पत्ती- पत्ती
धरा ने यूं सहेज़ा
मखमली उड़ा के चादर
धूप ने कुछ सेंका
फिर से वो बीज बनके
धरा से फूटा
एक फूल शाख से गिरा और टूटा।।

©@krishn_ratii (Roli Mishra)

ज़मी ने उसे समेटा , मिट्टी में लपेटा झर गयी पत्ती- पत्ती धरा ने यूं सहेज़ा मखमली उड़ा के चादर धूप ने कुछ सेंका फिर से वो बीज बनके धरा से फूटा एक फूल शाख से गिरा और टूटा।। ©@krishn_ratii (Roli Mishra)

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